

पेंड्रा। छत्तीसगढ़ के मरवाही क्षेत्र के धरहर गांव में सोमवार को वट सावित्री का पर्व पारंपरिक श्रद्धा, आस्था और उल्लास के साथ धूमधाम से मनाया गया। इस विशेष अवसर पर सुहागिन महिलाओं ने अपने पति की लंबी उम्र और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करते हुए विधिविधान से वटवृक्ष (बरगद के पेड़) की पूजा-अर्चना की।
महिलाएं पारंपरिक परिधान में सज-धज कर, सिर पर पल्लू ढंके और हाथों में पूजन थाली लिए हुए पूजा स्थल पहुंचीं। उन्होंने वटवृक्ष की परिक्रमा की, उसे पवित्र धागा बांधा और सावित्री-सत्यवान की पौराणिक कथा का श्रवण किया। कथा सुनते हुए महिलाओं ने व्रत के धार्मिक महत्व को समझा और श्रद्धापूर्वक उपवास किया।
पूरे आयोजन के दौरान वातावरण भक्तिमय और उत्साह से भरा रहा। कुछ महिलाएं वर्षों से यह व्रत करती आ रही हैं, तो वहीं कुछ ने पहली बार इस पर्व में भाग लेकर पूजा की। नए व्रतधारियों के चेहरे पर विशेष उत्साह और भक्ति का भाव देखा गया।
स्थानीय ग्रामीणों ने भी महिलाओं की आस्था और परंपरा के इस जीवंत स्वरूप की सराहना की। इस प्रकार वट सावित्री व्रत ने न केवल धार्मिक आस्था को सुदृढ़ किया, बल्कि पारंपरिक सांस्कृतिक मूल्यों को भी जीवंत बनाए रखा।