छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले में रोड़ निर्माण के लिए की गई जमीन अधिग्रहण का मामला अभी हाई कोर्ट में चल रहा है। वहीं प्रशासन इस अधूरे रोड का निर्माण करना चाहता है। ऐसे में किसानों को वास्तविक मुआवजा नहीं मिलने से किसानों में आक्रोश है। इसी के चलते हाई कोर्ट में याचिका लगाई गई और मामला हाईकोर्ट (CG High Court) में लंबित है। इसके बाद भी तहसीलदार बिसाहिन चौहान अधूरे रोड का निर्माण करने के लिए पहुंचे, इस दौरान उन्हें ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ा।
वहीं आरोप है कि तहसीलदार ने ग्रामीणों को धमकाने का प्रयास किया। अड़भार तहसीलदार की मनमानी सक्ती जिले के अड़भार में सड़क (Sakthi Road Construction Case) निर्माण के खिलाफ किसान लामबंद हो गए हैं। किसानों का आरोप है कि बिना मुआवजा राशि दिए ही एडीबी कंपनी ने सड़क का काम शुरू किया है। जिले में अड़भार तहसीलदार की मनमानी सामने आई है। सालों पहले सड़क निर्माण के लिए किसानों की जमीन अधिग्रहण की गई है, लेकिन आज तक कई किसानों को उनका मुआवजा नहीं मिला है। धमकी दे रहे अफसर, किसानों में आक्रोश जिन किसानों को मुआवजा नहीं मिला अफसर सिर्फ उन्हें आश्वासन देते रहे।
लिहाजा अब किसानों ने सड़क (Sakthi Road Construction Case) निर्माण का विरोध करने की ठानी। और मामला हाईकोर्ट में लंबित है, लेकिन किसानों को हक देने के बजाए एडीबी के अफसर स्थानीय तहसीलदार के सहयोग से उल्टा धमकी दे रहे हैं, जिसके बाद अब किसानों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। क्यों किसान हुए असंतुष्ट? आपको बता दें कि सक्ती जिले के टुंडरी मार्ग और मालखरौदा से जेजेपुर मार्ग पर एडीबी कंपनी सड़क (Sakthi Road Construction Case) बना रही है। जो समय सीमा समाप्त होने के बाद भी आज तक पूरी नहीं हो सकी है, जिसमें सक्ती-टुन्ड्री मार्ग की लंबाई करीब 31 किलोमीटर है। सड़क के उन्नयन और पुननिर्माण कार्य के लिए भूमि की आवश्यकता हुई, जिसके लिए क्रय नीति शासन का आदेश क्रमांक एफ 7-4-1/20215 दिनांक 30 मार्च 2016 का संशोधन दिनांक 27-09-2017 के अनुसार ग्राम कर्रापाली और झर्रा के किसानों को मुआवजा दिया गया। दोबारा जमीन नापी तो ज्यादा निकली जमीन कुछ किसान जो मुआवजा प्रकरण से सहमत नहीं थे। उनकी जमीनें फिर से नापी गईं। फिर राजस्व (Sakthi Road Construction Case) विभाग ने जमीन का प्रकरण बनाया, लेकिन आज तक बचे किसानों को मुआवजा नहीं मिला, किसान साल 2021 से मुआवजा की मांग सरकार से कर रहे हैं, और मामला हाईकोर्ट में लंबित भी है। किसानों का ये भी आरोप किसानों का आरोप है कि जब इस रोड (Sakthi Road Construction Case) के निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण की जा रही थी, उस समय पटवारी, तहसीलदार के द्वारा किसानों की जमीनों को नापे बिना ही अनुमान से अधिग्रहण की लिस्ट में चढ़ा दिया। इसके बाद जब रोड निर्माण में ज्यादा जमीन किसानों की गई तो, उन्होंने उसका विरोध किया, विरोध के बाद दोबारा से जमीन नापी गई तो ज्यादा जमीन निकली। बाद में जो भूमि ज्यादा निकली है, उसका मुआवजा किसानों को नहीं मिला है, इससे मामला हाई कोर्ट पहुंचा। जहां मामला लंबित है। इस मामले में अफसरों की बड़ी साठगांठ का भी किसान आरोप लगा रहे हैं।