संवाददाता राम कुमार मनहर मोबाईल नंबर 9977109155 बेलादुला
बेलादुला / इन दिनों जिलों मे शासकीय स्कूल के शिक्षको के अनेकों तथा अजीबो गरीबों मामले देखने को मिल रहे है कोई बिना काम किए स्कूल मे ड्यूटी के दौरान लगातार सोते नजर आते है तो वही अपने परिजनों से कम पढे लिखे लोगों को पढ़ाते देखने को मिलते है तो वही बेलादुला के स्कूल का यह ताजा मामला देखने मे यह आई है कि शासन ने विद्यालय के रंगाई पुताई टेबल कुर्सी पंखा एवं मरम्मत जैसे अनेक कार्यों के लिए शासन के द्वारा अनुदान दिया जाता है। जहां पर प्राइमरी स्कूल से लेकर हायर सेकेंडरी तक के अनुदान मिलता है। जिनमें शाला का अनुदान, एसएमसी कम्युनिटी मोबिलाइजेशन, रानी लक्ष्मीबाई आत्मरक्षा प्रशिक्षण इस तरह से हजारों रुपए विद्यालय के लिए छत्तीसगढ़ शासन प्रदान कर रही है। लेकिन आज विद्यालय में जाकर देखने पर यह पाया जाता है, कि जिस विद्यालय के संस्था के मुखिया को राशि मिलती है वह उस राशि का उपयोग नाम मात्र करती है इस तरह से देखा जाए तो लापरवाही घोर नजर आ रही है। जबकि विद्यालय के शिक्षा को माता-पिता के बराबर प्रथम गुरु माना जाता है लेकिन वह शिक्षक को आज 30 हजार रूपए से ले कर लाख रुपए मिलने के उपरांत बच्चों को दिया गया शाला विकास के लिए अनुदान राशि को हजम कर रहे हैं। यह शिक्षकों के लिए बड़ी शर्म की बात है । विद्यालय में जाने पर यह बताया जाता है कि छात्रों की संख्या ज्यादा है लेकिन शिक्षकों का अभाव है, लेकिन ऐसा देखने में यह भी आया है कि जहां पर विद्यार्थी रहते हैं लेकिन शिक्षक ही विद्यालय से नदारद रहते हैं। शिक्षकीय कार्य का लगाम कमजोर है, कामचोर शिक्षक बन गए हैं जिनकी वजह से आज शिक्षा का स्तर गिरता हुआ नजर आरहा है । यह केवल शासकीय विद्यालयों के लिए ही लागू हो रहा है। आज शासकीय विद्यालय में न पढ़ाकर के विद्यार्थी को पालक निजी विद्यालय में ले जा रहे हैं क्योंकि शासकीय विद्यालय में हजारों रुपए पाने वाले शिक्षक अपने विद्यार्थियों से सही मार्गदर्शन नहीं करते नहीं पढ़ाते हैं। जिनके वजह से पालक अपने बच्चों को प्राइवेट विद्यालय में भर्ती कर रहे हैं। और शासकीय विद्यालय का दर्ज संख्या नहीं के बराबर दिखाई दे रहा है।