

नवीन कानून से हड़बड़ाने के बजाय उसे पढ़ कर सही इंप्लीमेंशन की जरूरत है… शक्ति सिंह राजपूत, प्रधान जिला न्यायाधीश

नवीन कानून प्रवर्तन में सरलता की लिहाज से कलिंगा विश्वविद्यालय का वर्कशॉप
कारगर साबित होगा… चितरंजय पटेल, अधिवक्ता उच्च न्यायालय
राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय आयोग तथा कलिंगा विश्व विद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आज एक जुलाई से प्रवर्तनीय नवीन कानून को लेकर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित किया गया जिसके मुख्य अभ्यागत एवम प्रधान न्यायाधीश जिला जांजगीर ने व्याख्यान माला के समापन पर अपने आशीर्वचन उद्बोधन में बताया कि नया कानून बना है तथा एक जुलाई से पुरे देश में यह लागू होने जा रहा है जिसे लेकर संबंधित न्यायालय, पुलिस, अधिवक्ता समुदाय इसके अनुपालन को लेकर सशंकित हो हड़बड़ाहट में है जबकि कानून में बदलाव एक नियमित प्रक्रिया है और बदलाव को हमें स्वीकार नवीन कानून का भलीभांति अध्यन करना होगा क्योंकि जब तक किसी चीज को जानते नहीं है तब तक हम हड़बड़ाते है पर जब उसको जान जाते हैं तो वह उतना ही सरल नजर आता है। इसलिए चाहे न्यायाधीश हों या वकील अथवा पुलिस सबको इस नवीन कानून से हड़बड़ाने के बजाय इसे पढ़कर इसके सही अनुपालन की जरूरत है ।आज इस व्याख्यान माला के आयोजक एवम मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय आयोग लीगल सेल के प्रदेश अध्यक्ष उच्च न्यायालय अधिवक्ता चितरंजय पटेल स्वागत उद्बोधन करते हुए कहा कि यहां पर सभी न्यायाधीश व अधिवक्ता समाज में विद्वान पुकारे जाते हे और इन्हें सीखने सिखाने वाली बात अटपटी जरूर है पर भारतीय सनातन परंपरा में सीखने की कोई उम्र नहीं है तो वहीं सीखने सिखाने के लिए विशेष योग्यता अथवा हैसियत भी जरूरी नहीं है। अधिवक्ता पटेल ने इस बात को कथानक के माध्यम से बताया कि जहां रामायण में मरते हुए रावण से लक्ष्मण ने सिख लिया तो वही महाभारत में भीष्म पितामह ने मृत्यु शैय्या में जीवन का रहस्य जाना अर्थात सीखने भाव से अगर कोई बात सुने तो इस कार्यशाला से हर व्यक्ति कुछ न कुछ लाभ हासिल कर सकेगा तथा खासकर कलिंगा विश्वविद्यालय का यह कार्यशाला नवीन कानून प्रवर्तन में सरलता की लिहाज से कारगर साबित होगा। इन पलों में डा ममता भोजवानी ने आयोजन को तारीफ ए काबिल बताते हुए आयोजकों की प्रशंसा किया।
आज व्याख्यान सत्र में प्रधान जिला न्यायाधीश के गरिमामय मुख्य आतिथ्य में न्याय विभाग, प्रशासन, पुलिस, अधिवक्तागण, न्यायिक कर्मचारी एवम् आयोग के सदस्य तथा मीडिया के उपस्थित लोगों को कलिंगा विश्वविद्यालय की सहायक प्राध्यापक आकांक्षा चौधरी ने भारतीय न्याय संहिता में बदलाव को सरल भाषा में परिभाषित किया तथा कुमारी शिवांगी त्रिपाठी ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता तो वहीं कुमारी इतिश्री उपाध्याय ने भारतीय साक्ष्य अधिनियम की मीमांसा करते नवीन कानून पर विस्तार प्रकाश डाला।
पश्चात कांलिंगा विश्विद्यालय की ओर से कुमारी आकांक्षा ने अतिथियों एवम् उपस्थित महानुभावों के प्रति साधुवाद प्रगट करते हुए कहा कि आप सबके गरिमामय सहभागिता से हमारा व्याख्यान माला सफल होकर आप सबको लाभान्वित करेगा।

विदित हो कि डा संदीप गांधी (कुल सचिव कलिंगा विश्वविद्यालय) द्वारा इस आयोजन हेतु राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय आयोग, लीगल सेल को दायित्व दिया गया फलस्वरुप आयोजन को सफल बनाने मानवाधिकार आयोग के जिलाध्यक्ष महेंद्र बरेठ, डा विजय लहरे, कौशल लहरे, महेंद्र चंद्रा, महेंद्र कर्ष, प्रेमलाल गेबल मिडिया प्रमुख योम लहरे, महिला प्रमुख कांता यादव, पुष्प यादव, युवा प्रमुख महेंद्र कर्ष, दलेश साहू, शिवनाथ, रेवतीनंदन, फागुलाल, उदय मधुकर, पालूराम, अनीता साहू, मांडवी साहू, उषा राठौर, चंद्र कुमार बरेठ, धर्मेंद्र सोन,नूतन सोनी, राजकुमारी चंद्रा आदि कार्यकर्ताओं की गरिमामय सहभागिता रही तो वहीं कलिंगा विश्वविद्यालय की ओर सहायक मार्केटिंग मैनेजर मो तौकीर, मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव गौरव सिंह राजपूत की सक्रिय भागीदारी रही।

आज के आयोजन में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के साथ पुलिस, न्यायिक, वकालत पेशे से जुड़े लोगों के साथ ही मीडिया के साथियों की गरिमामय उपस्थिति रही।
साथ ही आयोजन को सफल बनाने न्यायिक अधिकारी डा ममता भोजवानी, न्यायाधीश बी आर साहू, सी जे एम श्रीमती गंगा पटेल, मजिस्ट्रेट दिव्या गोयल, ए एस पी रामा पटेल, एस डी एम के एस पैंकरा का सतत मार्गदर्शन व सहयोग प्राप्त हुआ जिससे आयोजन को महती सफलता मिली ।
कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र पर पुष्प अर्पित व दीप प्रज्जवलित कर किया गया पश्चात सरस्वती वंदना आचार्य सावित्री महंत ने प्रस्तुत किया । तदउपरांत अतिथियों का स्वागत किया गया।