

ब्लाक जैजैपुर के ग्राम खजुरानी में पाच दिवसीय भव्य सतनाम मेला एवं जयंती समारोह का आयोजन किया जाएगा 19जनवरी से 23जनवरी 2025तक गुरु घासीदास जयंती समारोह होगा।
जिला सक्ती- अत्यंत हर्ष के साथ आप सभी को आमंत्रित किया जाता है कि हमारे ग्राम खजुरानी में विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी दिनांक 19 जनवरी से 23जनवरी 2025 पांच दिवसीय भव्य सतनाम मेला एवं जयंती समारोह एवं पंथी नृत्य का आयोजन रखा गया है, जिसमें आप सह परिवार सादर आमंत्रित हैं,इस कार्यक्रम के अध्यक्ष धरम दास आदित्य, उपाध्यक्ष दिनेश वर्मा,) कोषाध्यक्ष रामपाल कुर्रे,उप कोषाध्यक्ष ज्योतलाल नारंग, सचिव राजेश खुटे,,उप सचिव परमेश्वर नारंग,,(मेला के संचालक राधेश्याम चंद्रा सरपंच ग्राम खजुरानी),तिरथ राम लहरें, श्री पप्पीराम लहरें, सत्या बघेल, दिलीप बघेल,संतोष कुर्रे ,20जनवरी को मुख्य अतिथि मा.बालेशवर साहू जी विधायक जैजैपुर) दिनांक 21जनवरी को मुख्य अतिथि श्रीमती कमलेश जांगड़े सांसद, विशिष्ट अतिथि केशव प्रसाद चंद्रा , पूर्व विधायक, ),निर्मल सिन्हा प्रदेश उपाध्यक्ष एवं पूर्व विधायक), राधे श्याम चंद्रा सरपंच ग्राम खजुरानी) दिनांक 22जनवरी को मुख्य अतिथि छोटे लाल भारद्वाज जिला अध्यक्ष सरपंच संघ एवं जिला अध्यक्ष प्रगतिशील सतनामी समाज ,
गुरु घासीदास महान संत, समाज सुधारक और सतनाम पंथ के संस्थापक थे। उनका जन्म 18 दिसंबर 1756 को छत्तीसगढ़ के गिरौधपुरी नामक स्थान में हुआ। गुरु घासीदास ने अपने जीवनकाल में समाज में व्याप्त कुरीतियों, जातिवाद, और भेदभाव को समाप्त करने के लिए अद्वितीय प्रयास किए। उनका संदेश “सत्य ही ईश्वर है” आज भी मानवता के लिए प्रेरणा स्रोत है।
गुरु घासीदास का जन्म एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। उनका जीवन सादगी और परोपकार का प्रतीक था। उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश समय समाज में व्याप्त असमानता और अन्याय को दूर करने में बिताया। बचपन से ही वे ईश्वर के प्रति आस्था और समाज सेवा के लिए समर्पित थे।
गुरु घासीदास ने समाज में व्याप्त जातिवाद और ऊँच-नीच की भावना को समाप्त करने के लिए सतनाम पंथ की स्थापना की। इस पंथ का मूल संदेश है कि ईश्वर का नाम ही सत्य है। सतनाम पंथ जाति, धर्म और वर्ग से ऊपर उठकर समानता, शांति और सत्य का प्रचार करता है।
गुरु घासीदास ने अपने उपदेशों के माध्यम से समाज को एक नई दिशा दी। उन्होंने लोगों को सिखाया कि सभी मनुष्य एक समान हैं और जाति या धर्म के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने पशु बलि, नशा, और अंधविश्वास जैसी प्रथाओं के खिलाफ भी आवाज उठाई।
गुरु घासीदास की जन्मभूमि गिरौधपुरी, आज सतनाम पंथ के अनुयायियों के लिए एक प्रमुख तीर्थस्थल है। यहां हर वर्ष उनकी जयंती पर भव्य मेले और धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। यह स्थान उनकी शिक्षाओं और आदर्शों का प्रतीक है।
गुरु घासीदास ने “मनुष्य मात्र एक समान है” और “सत्य ही ईश्वर है” जैसे महान विचार दिए। उनके उपदेश समाज में समानता, भाईचारा और शांति स्थापित करने पर बल देते हैं। उनका जीवन हमें सिखाता है कि हम दूसरों के प्रति प्रेम और करुणा का भाव रखें।
गुरु घासीदास एक महान संत और प्रेरणास्त्रोत थे, जिन्होंने समाज में सुधार और सत्य की स्थापना के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित किया। उनका जीवन और उनकी शिक्षाएं आज भी हमें बेहतर समाज बनाने की प्रेरणा देती हैं। गुरु घासीदास का योगदान और उनका संदेश सदैव मानवता के लिए मार्गदर्शक रहेगा।