

स्वतंत्रता सेनानी@ धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा जनजातियों के साथ ही हम सबके प्रेरक…अधिवक्ता चितरंजय

बिरसा मुंडा भारत के एक प्रसिद्ध आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी तथा ‘धरती आबा’ के नाम से प्रसिद्ध बिरसा मुंडा ने 1890 के दशक में उल गुलान अर्थात महा विप्लव नामक आदिवासी आंदोलन का नेतृत्व किया जो ब्रिटिश शासन के खिलाफ होने के साथ ही आदिवासी समुदायों को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष हेतु प्रेरक साबित हुआ, फलस्वरूप बिरसा मुंडा को सन 1900 में साजिश पूर्वक गिरफ्तार कर ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह के आरोप में सजा देने के बाद 9 जून 1900 को ही जेल में ही मृत्यु हुई, जो उनके अनुयायियों के लिए एक दुखद घटना थी। आज भी बिरसा मुंडा को आदिवासियो के द्वारा लोक नायक और धरती आबा अर्थात भगवान के रूप में पूजा जाता है।
बिरसा मुंडा ने जनजातियों को जल, जंगल और जमीन का महत्व समझकर उसके लिए मर मिटने का जज्बा का पैदा किया जिससे ब्रिटिश हुकूमत ने उन्हें कारागार में डाल दिया जहां अल्प समय में उनकी मृत्यु हो गई। NHRSJC विधि के प्रदेश अध्यक्ष चितरंजय ने कहा कि आज भी उनकी शहादत हमें प्रेरणा देती है कि जल_जंगल और जमीन के लिए हमें बलिदान को तत्पर होना चाहिए। राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय आयोग की ओर से उनके पुण्य तिथि पर उनके स्मृति में आज वृक्षारोपण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई ।