जांजगीर-चाम्पा. कागज कलम अउ दवाद, पढ़ेंन लिखेंन, अउ होगेन पास। यह हाना, तब याद आ गया, ज़ब कोरिया जिले के किसानों के प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान एक युवा किसान ने हमारे किसान स्कूल के धरोहर अर्थात संग्रहालय में रखने के लिए कलम और दवाद भेंट की। पुराने ज़माने में कलम दवाद का बहुत ही महत्व रहा। धीरे धीरे इसका चलन ख़त्म हो गया और उनके जगह पर पढ़ाई लिखाई के काम में लोग रिफिल पेन का इस्तेमाल करने लगे। वरिष्ठ पत्रकार कुंजबिहारी साहू किसान स्कूल बहेराडीह के संचालक दीनदयाल यादव ने बताया कि मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर अर्थात एमसीबी जिला अंतर्गत बाहि गाँव के प्रगतिशील युवा किसान भीम सिंह पिता हिरासाय ने कोरिया स्थित छिंददाड़ में आयोजित क़ृषि उद्यमी प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन समारोह में कलम दवाद संग्रहालय के लिए भेंट की।
आपको बता दें कि प्रतिवर्ष यहाँ पर 23 दिसंबर को आयोजित होने वाले अंतर्राष्ट्रीय किसान दिवस में ऐसे किसानों का सम्मान किया जाता है। जो क़ृषि क्षेत्र में बिल्कुल ही अनोखा काम किया है। वहीं विलुप्त चीजों को संरक्षित करने के उद्देश्य से किसान स्कूल द्वारा चलाये जा रहे पुरखा के सुरता अभियान में सक्रिय भूमिका निभाया हो।किसान स्कूल के सफलतापूर्वक संचालन में न सिर्फ प्रगतिशील किसानों का सहयोग मिल रहा है, बल्कि स्वयंसेवी संस्था, सामाजिक कार्यकर्त्ता, एफपीओ, नाबार्ड, आरसेटी, जनप्रतिनिधि, शासन और प्रशासन का निरंतर सहयोग प्राप्त होने लगा है। भारत का होगा पहला संग्रहालय संचालक दीनदयाल यादव का कहना है कि उनकी टीम के सहयोग से क़ृषि क्षेत्र में जितने प्रकार की चीजें हैं और जो इस समय विलुप्त होने की कगार पर हैं। उन्हें यहाँ के संग्रहालय अर्थात धरोहर में सालभर के भीतर ही एकत्रित करने का प्रयास किया जा रहा है। आने वाले समय में भारत का यह पहला संग्रहालय होगा। जहाँ क़ृषि के अलावा अन्य विलुप्त चीजों को सहेजने के लिए चलाये जा रहे पुरखा के सुरता अभियान में लोग शामिल हो रहे हैं।