

एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट के लिए वकील एकजुट हों …
अधिवक्ता चितरंजय पटेल
अधिवक्ता अधिनियम (संशोधन) विधेयक-2025 का प्रारूप भारत सरकार के कानून मंत्रालय ने जारी कर एडवोकेट एक्ट-1961में प्रस्तावित संशोधन पर लोगों की राय मांगी है जिसके अनुसार भारत सरकार विधि मंत्रालय का मकसद कानून के व्यवसाय और कानूनी शिक्षा को वैश्विक स्तर प्रदान करने के साथ ही देश का वकील तेजी से बदलती दुनिया में एक न्यायसंगत और समतापूर्ण समाज और विकसित राष्ट्र के निर्माण में योगदान दे सके जबकि प्रस्तावित प्रमुख संशोधन_ (१) बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) अधिनियम 1961 की धारा 4 में प्रस्तावित संशोधन के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा नामित 3 सदस्य होंगे तथा धारा- 4 में दो महिला वकीलों को शामिल करने के लिए संशोधन का भी प्रस्ताव है जो बार काउंसिल के स्वायत्तता व स्वतंत्रता पर सीधा_सीधा हमला हैं तो वहीं प्रस्तावित संशोधन (२) वकीलों के द्वारा अपने हित के लिए किए जाने वाले हड़ताल या बहिष्कार पर प्रतिबंध लगाने का प्रावधान है तथा कोर्ट के काम से बहिष्कार या न्यायालय के कामकाज या कोर्ट परिसर में बाधा डालने के सभी आह्वान प्रस्तावित संशोधन धारा 35ए (1) के अनुसार निषिद्ध हैं तथा उसका उल्लंघन कदाचार या मिसकंडक्ट माना जाएगा व अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए उत्तरदायी होगा। फलस्वरूप प्रस्तावित संशोधन को वकील समुदाय में अपने हितों के खिलाफ और बार काउंसिल के स्वायत्तता में अनावश्यक दखल मान कर केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध के स्वर गूंज रहा है और दिल्ली उच्च न्यायालय के वकीलों के द्वारा न्यायालयीन कार्य का लगातार बहिष्कार को देखते हुए केंद्र सरकार ने यू टर्न लेकर प्रस्तावित संशोधन अभियान में अपने कदम थाम लिए हैं जिसे वकील समुदाय अपनी जीत मानकर उत्साहित है ।
इस संबंध में उच्च न्यायालय अधिवक्ता चितरंजय पटेल ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार का मजबूरी में उठाया गया यह कदम एक क्षणिक छलावा मात्र है, क्योंकि केंद्र सरकार ने वक्त की नजाकत देख जरुर चुप्पी साध ली है, पर देर सबेर यह विषय किसी भी सुधार के नाम पर वकीलों को फिर से सालेगा। इसलिए हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि वकीलों की लंबित और सिद्धांत: स्वीकृत मांग एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने के बजाय अपने प्रस्तावित संशोधन स्वरूप काला कानून लाकर वकीलों को बेड़ियों में जकड़ने की नियत इतना सहज नहीं है इसलिए हम सभी वकीलों को अपने हित में एडवोकेट प्रोटेक्शन की लड़ाई एकजुट होकर लड़ना होगा।
जिला अधिवक्ता संघ सक्ती के उपाध्यक्ष संजय अग्रवाल ने बताया कि संघ ने प्रस्तावित संशोधन को एक स्वर से अधिवक्ता हित के खिलाफ मानते हुए उसे वापस नहीं लेने पर २५ फरवरी को एक दिवसीय धरना प्रदर्शन एवं न्यायालयीन बहिष्कार का निर्णय लेकर जिले सभी अधिवक्ताओं से केंद्र सरकार के प्रस्तावित संशोधन के खिलाफ लामबंद होने का आग्रह किया है।